उठो। उठो। हे भारतवासी।
खुद उठो, औरों को उठाओ,
समय ये ऐसा आया।
उत्तर में खड़ा हिमालय,
ये पुकारे अगर उठे तुम,
नत हो जाएगा प्रवासी,
मन में ना हो कतई उदासी। 1।
क्या हुआ जो वैरी अदृश्य है,
क्या हुआ स्थिति विपरीत है,
क्या हुआ जो पसरा भेद है,
तुम हो रावण हंता बनवासी। 2।
करो, करो सद्कर्म करो,
घर में बैठ ईश वंदन करो,
स्वस्थ, सुरक्षित, सब जन करो,
तुम कोरोना को ला दो फांसी । 3।
आपस में दूरी बना के रखें,
हाथों को साबुन से धोते रहें,
मास्क व स्वच्छ पड़ोस रख के,
तुम कोरोना की करो वापसी। 4।
कहे ‘हितैषी’ ढाणे वाला,
कहा मानो नमो-मनो वाला,
ये अपने हैं बाकी सब सपने हैं,
अब एक हो जाओ हिंदवासी। 5।
चप्पे-चप्पे का ध्यान है रखना,
कोई भी ना भूखा मरने देना,
कोरोना योद्धाओं को मान देना,
तुम फैलाना जग में उजासी। 6।
अनिल ‘हितैषी’
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कविता