कोरोना सक्रंमण से बचाव हेतू H.A.U ने स्पर्श रहित तरल साबुन एवं जल वितरक प्रणाली की विकसित

यूनिक हरियाणा हिसार: 29 अप्रैल
कोरोना वायरस महामारी एक विश्वव्यापी संकट है तथा वर्तमान समय में इससे बचाव ही इसका इलाज है। इसको ध्यान में रखते हुए भारत सरकार व हरियाणा सरकार हर प्राणी के स्वास्थ्य के प्रति सचेत, दृढ़संकल्प व कृतबद्ध है। सामाजिक दुरी बनाये रखना, मास्क डाले  रखना, हाथो को साबुन-पानी के साथ बारम्बार धोते रहना ही इसके बचाव के लिये मूल मंत्र हैं।
सार्वजनिक स्थान पर बार-बार हाथो को साफ़ करने हेतु प्रयोग में लाये जाने वाले साबुन या तरल हैंड वाश एवं पानी के नल को स्पर्श करना पड़ता है, जहां कोरोना वायरस के सक्रंमण फैलने का डर व शंका बनी रहती है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के.पी. सिंह जी के दिशा-निर्देशानुसार कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिकों ने ‘स्पर्श रहित तरल साबुन एवं जल वितरक प्रणाली’ विकसित की। आज के हालात को मद्देनजर रखते हुए यह प्रणाली समय की बहुत बड़ी मांग है। प्रो. सिंह ने बताया कि हाथों को अच्छी तरह से सफाई के लिए इस ‘स्पर्श रहित तरल साबुन एवं जल वितरक प्रणाली’ की सराहना की और इस विधि के इस्तेमाल को कोरोना वायरस सक्रंमण से बचाव में उपयोगी बताया। उन्होने बताया कि ऐसे प्रयोग देश के सुरक्षा चक्र के लिए प्रंशसनीय व सराहनीय होते है।
इस विधि के लिए अल्ट्रासोनिक सेंसर्स का उपयोग किया गया है जो व्यक्ति के हाथो को अनुभव करके तरल साबुन व जल निकालने का काम स्वचालित रूप से करता है। इसकी एक यूनिट को वर्तमान समय में विश्वविद्यालय के कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में स्थापित की गई है। इसके प्रयोग की महत्ता को ध्यान में रखते हुए इसकी दूसरी यूनिट प्रशासनिक भवन में प्रो. के.पी. सिंह, माननीय कुलपति महोदय के मार्ग दर्शन में विकसित की गई है और जरूरत अनुसार यह प्रक्रिया विश्वविद्यालय के अन्य विभागों में भी प्रसारित की जा सकती है। इसके निर्माण में लगभग 5000 रूपए का खर्च आया है। इस उपकरण का निर्माण अभियांत्रिकी महाविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. ए.के. अटकान, इंजी. भारत पटेल और इंजी. सुनील कुमार द्वारा किया गया है। इस दौरान, विशेष कार्यकारी अधिकारी डॉ. एम.के. गर्ग एवं कृषि अभियांत्रिकी, प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. आर.के. झोरड़ एवं एसपीएस श्री सुरेन्द्र सलूजा उपस्थित रहे।