28 अप्रैल, चंडीगढ़ः पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अगले एक साल तक कोई नई भर्ती न करने के प्रदेश सरकार के फ़ैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा का युवा पिछले काफी समय से लगातार पूरे देश में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी की मार झेल रहा है। कोरोना की मार पड़ने से पहले ही प्रदेश में बेरोज़गारी का आंकड़ा 28 फ़ीसदी की उच्च दर तक पहुंच चुका था। कोरोना के बाद ये आंकड़ा और बढ़ने की आशंका है। ऐसे में अगर सरकारी भर्तियां भी बंद हो गई, तो प्रदेश के युवा को रोज़गार कैसे मिलेगा नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि मौजूदा मुश्किल हालातों से उबरने के लिए युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोज़गार देने की ज़रूरत है। लेकिन, सरकार इसके उलट फ़ैसले ले रही है, जो हैरान करने वाले हैं। ऐसा फ़ैसला लेने से पहले सरकार को सोचना चाहिए कि जो युवा भर्ती के इंतज़ार में कई महीनों से तैयारी कर रहे हैं, जो युवा इस एक साल में ओवर एज हो जाएंगे, उनके भविष्य का क्या होगा। बहरहाल, यदि साल भर तक कोई काम ही नहीं करना है तो इस दौरान HSSC-HPSC के चेयरमैन और मेंबर्स को किसी तरह का वेतन या भत्ते देने का भी कोई औचित्य नहीं है। हुड्डा ने कहा कि कोरोना के मुश्किल दौर में सरकार के विभिन्न विभागों से जुड़े कर्मचारी दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। उनके वेतन और भत्तों में कटौती के बावजूद वो अपना फ़र्ज़ निभा रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वो कर्मचारियों का हौसला बढ़ाए और विभिन्न सरकारी महकमों में बढ़ते जा रहे बैकलॉग को जल्दी से जल्दी भरे। जिन भर्तियों की प्रक्रिया जारी है, उन्हें जल्दी पूरा करे। PGT संस्कृत की तरह जो भर्ती पूरी हो चुकी है, उनके उम्मीदवारों की ज्वाइनिंग कराए। आज प्रदेश को ज़्यादा से ज़्यादा डॉक्टर्स, मेडिकल स्टाफ़, सफ़ाईकर्मियों सहित दूसरे कर्मचारियों की ज़रूरत है। कोरोना महामारी से जुड़े खतरों को देखते हुए भर्ती रोकने की बजाय, लॉकडाउन के बाद भर्ती प्रक्रिया में तेज़ी लानी चाहिए। भर्तियाँ तेज़ी से करने जैसे फ़ैसले लेकर ही प्रदेश को निराशा और युवाओं को बेरोज़गार के अंधकार से निकाला जा सकता है।
मुश्किल दौर से उबरने के लिए भर्तियों पर रोक की बजाय, सरकार को निकालनी चाहिए ज़्यादा भर्तियां- हुड्डा