यूनिक हरियाणा- कोरोना की जंग से पूरा विश्व जूझ रहा है, फ़िलहाल इसकी कोई वैक्सीन नहीं बन पाई है, परन्तु प्लाज़्मा थेरेपी ने अंधेरे में दिए का काम किया है। इसकी सहायता से कोरोना की जंग जीत चुके व्यक्ति प्लाज़्मा डोनेट कर दूसरे को ठीक करने में सहायता कर सकते है। एक डोनर की सहायता से लगभग 2 से 5 लोग ठीक हो सकते है। कोरोना के कारण उत्पन्न विकट समस्या की घड़ी में मरीजों की सहायता के लिए प्लाज़्मा डोनेट की तकनीक सामने आई है, जिससे कोरोना के मरीजों के ईलाज में काफी मदद मिल रही है। यदि प्लाज़्मा डोनेट करने वाले व्यक्तियों को डर है कि कही उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर न हो जाए तो डरने की जरुरत नहीं है इससे उन्हें कोई नुकसान नहीं होता। ICMR से इजाजत मिलने के बाद दिल्ली, केरल, कर्नाटक में यह प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है। इंग्लैंड, अमेरीका जैसे देशो में भी इस थेरेपी का उपयोग हो रहा है। प्लाज़्मा थेरेपी कैसे करती है काम
कोरोना से जीत चुके व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली बहुत मजबूत हो जाती है। इनके शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है जो इस वायरस से रक्षा करने में सहायक है। प्लाज़्मा थेरेपी में प्लाज़्मा से खून अलग कर दूसरे मरीज को डोनेट किया जाता है। जिससे उसके शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है और वायरस से लड़ने में सहायता करता है जिससे की मरीज के जल्दी ठीक होने की संभावनाएं बन जाती है।
प्लाज़्मा थेरेपी कोरोना जंग में सहायक