अपने देश में कोरोना वायरस से मुक्ति पाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों सहित विभिन्न संस्थाएं और संगठन अपनी सभी कोशिशों को अंजाम देने में जुटे हैं। बावजूद कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या तत्काल कम नहीं हो रही है । केंद्र सरकार की ओर से इस वायरस से बचाव के लिए घोषित लॉक डाउन (तालाबंदी) का ज्यादातर लोगों का समर्थन मिल रहा है। लॉक डाउन के दूसरे सप्ताह में देखा जा रहा है कि धीरे धीरे चाहे वे आम हो या खास, इनमें से ज्यादातर लोग बचाव के नियमों का पालन कर रहे हैं। इसी के साथ दूसरी ओर देश के अनेक शहरी क्षेत्रों में दिहाड़ी मजदूरों सहित विभिन्न छोटे-छोटे श्रम कार्य करने वाले लोगों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। भुखमरी तक की नौबत अा गई है। देश के विभिन्न अस्पतालों में संसाधनों की और आम लोगों के बीच मास्क और सेनिटायजर की कमी के कारण काफी मुश्किलें भी आ रही हैं। लेकिन सब कुछ तेजी से दुरुस्त किया जा रहा है। ऐसी परिस्थिति में देश के विभिन्न राज्यों के शहरी क्षेत्रों में हताश और असहाय लोगों की मदद करने, उन्हें बायरस से बचाव के लिए सचेत करने और चिकित्सा आदि के संसाधनों के लिए आर्थिक सहयोग देने के मामले में हरेक वर्ग की महिलाओं की सक्रियता काबिले तारीफ है। लॉक डाउन की वजह से ज्यादातर लोग घरों में ही हैं, पुरुषों की निरंतर मौजूदगी के कारण महिलाओं पर काम का बोझ बढ़ा है लेकिन इसके बावजूद घर परिवार में सदस्यों को कोरो ना खतरों से भय मुक्त करने में अहम रोल निभा रही हैं। इसके अलावा सबसे अधिक प्रशंसा की हकदार देशभर के अस्पतालों में कार्यरत लाखों नर्स और दाईया हैं,जो बगैर छुट्टी लिए और अपनी और अपने परिवार को जोखिम में डालकर कोरो ना के मरीजों की जान बचाने में रात दिन जुटी हुई हैं। जबकि उन्हें अस्पताल जाने के लिए सब कुछ बंद हो जाने के कारण काफी दिक्कतें हो रही हैं। इतना ही नहीं उन्हें नादान और नासमझ मरीजों की प्रताड़ना का भी शिकार होना पड़ रहा है फिर भी कम सुविधाओं के बावजूद अपना सर्वश्रेष्ठ देशवासियों को अर्पित करने में पीछे नहीं हैं।
कोरो ना से जूझने में आज दुनिया भर में केरल की नर्सों की खूबियों की बहुत चर्चा हो रही है। भारत के चिकित्सा क्षेत्रों में केरल की नर्सें अन्य महिलाओं के लिए रोल मॉडल हैं और ब्रिटेन ,अमेरिका,आस्ट्रेलिया और मध्य पूर्व के देशों में चिकित्सा का दारोमदार वहां के डॉक्टरों के साथ इनके ही कंधों पर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत विदेशों में नर्सों की आपूर्ति का प्रमुख केन्द्र है और केरल की नर्सें विकसित देशों की नर्सों के मुकाबले कहीं बेहतर बताई जाती हैं।
कोरो ना वायरस के भयावह दौर में पुणे के मायलैब डिस्कवरी की चिकित्सा वैज्ञानिक मीनल दाखावे भोसले भी चर्चा में हैं,क्योंकि उन्होंने गर्भावस्था के अंतिम चरण में रहते हुए भी हाल में कोरो ना वायरस की जांच के लिए सस्ती और ज्यादा कारगर किट तैयार कर दिया है। जिससे बड़ी आबादी और कम संसाधनों वाले अपने देश को बहुत राहत मिलेगी। क्योंकि मीनल की बनाई किट के इस्तेमाल से जांच रिपोर्ट मात्र ढाई घंटे में मिल सकेगी,जबकि अभी दूसरे उपलब्ध किट से जांच रिपोर्ट आने में छह से सात घंटे लगते हैं और इसकी कीमत 4500 रुपए है,जबकि मीनल की किट मात्र बारह सौ रुपए में मिलेगी।
देश के विभिन्न इलाकों में महिलाएं संगठनों और संस्थाओं के जरिए और कहीं कहीं निजी स्तर पर भी अपने परिवार के सहयोग से शहरी क्षेत्रों में असहाय मजदूर परिवारों की मदद के लिए आगे आई हैं। इन दिनों हरियाणा के रोहतक में महिलाएं उल्लेखनीय सेवा कार्य कर रही हैं। रोहतक की प्रोमिला आर्य ने जब देखा कि उनके शहर में मजदूरों के भूख से बिलखते बच्चे कचरों के डब्बों में खाना खोज रहे हैं तो उनसे रहा नहीं गया। शहर की सभी आटा चक्की मिल बंद होने के कारण घर के एक कोने में पड़ी पुरानी जाता चक्की पर दिन भर आटा तैयार करती हैं। फिर रोटियां बना बना कर मजदूर बस्तियों में लॉक डाउन के दूसरे दिन से ही रोजाना भोजन पहुंचा रही हैं। उनके इस काम में बबीता,सुदेश,निक्की,महेंद्र कौर,प्रियंका,सावित्री जैसी साधारण और घरेलू महिलाएं मदद कर रही हैं। रोहतक में अभिनव टोली की महिलाओं सहित मीरा बंसल और आशा जैन भी मजदूर बस्तियों में भोजन पहुंचा रही हैं। मजदूर महिलाओं को सेनेटरी पद भी मुफ्त में मुहैया करा रही हैं।
अनेक जगहों पर महिलाएं और युवतियां मास्क बना बना के निशुल्क बांट रही हैं। पंचकूला हरियाणा के वरिष्ठ लेखक सुरेंद्रपाल सिंह जी का घर मोक्स बनाने का छोटा मोटा कारखाना ही बन गया है। भागलपुर में अंग मदद फाउंडेशन की विनीता भी घर में मास्क बना कर लोगों को दे रही है। मध्य प्रदेश के शहडोल में सीता शर्मा भी मास्क बनाकर बांट रही हैं। झारखंड में सखी मंडल की महिलाएं मास्क और सैनिटाइजर का उत्पादन और वितरण कर रही हैं। साथ ही गरीबों के लिए राज्य में खोले गए दाल भात केंद्रों पर भी अपनी सेवाएं दे रही हैं। इसी तरह भागलपुर की वंदना झा और डोली मंडल,वाराणसी की जागृति राही, पुणे की हेमा म्हस्के ,पानीपत की पायल,हैदराबाद की कवयित्री सुवर्णा परतनी , हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले की वंदना कुमारी जैसी सैकड़ों महिलाएं स्वयं प्रेरणा से अपने अपने क्षेत्रों में विपत्ति में फंसे लोगों को मदद कर रही हैं।
देश में फिल्म और खेल क्षेत्र की प्रसिद्ध महिलाओं ने भी खुल कर अपना योगदान दिया। शुरुआत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मां हीरा बाई ने राहत कोष के लिए पच्चीस हजार देकर की। राहत कोष में एक पचासी साल की अम्मा ने पेंशन की जमा पूंजी एक लाख रुपए की राशि दान में दी। प्रसिद्ध गायिका लता मंगेश्कर ने पच्चीस लाख रुपए दिए तो अभिनेत्री और सांसद हेमा मालिनी ने एक करोड़ दिए। प्रसिद्ध अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने एक लाख डॉलर दिया। अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने तीन करोड़ दिए। शिल्पा शेट्टी कुंद्रा ने 21 लाख दिए। दान देने वालों में कैटरीना कैफ,कृति मेनन,माधुरी दीक्षित, सारा अली खान ने भी सरकार के राहत कोष में पैसे जमा कराए। खेल की दुनिया से टेनिस स्तर सानिया मिर्जा ने एक करोड़ पच्चीस लाख रु की राशि जुटाई। बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने 10 लाख,महिला क्रिकेट टीम की मिताली राज,पूनम यादव और दीप्ति शर्मा ने भी अपने योगदान दिए। युवा खिलाड़ी रिचा घोष ने भी एक लाख रुपए राहत कोश में दिए हैं।
हेमलता म्हस्के
पुणे, महाराष्ट्र
तालाबंदी में महिलाओं ने भी खोली हौसले की तिजौरी -हेमलता म्हस्के